प्रभाकर कसौधन
बलरामपुर। शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर में सोमवार को भारत और नेपाल के संतों की संयुक्त धर्मसभा का आयोजन हुआ। देवीपाटन पीठाधीश्वर योगी मिथलेश नाथ की अध्यक्षता में हुई इस सभा में नेपाल से पधारे संतों के साथ भारतीय संतों ने भी सहभागिता की। धर्मसभा में भारत-नेपाल के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों पर विस्तार से चर्चा हुई।
नेपाल से पात्र देवता पीर रतन नाथ योगी के साथ यात्रा में आये संतों के साथ धर्म सभा हुई। जिसमें विभिन्न धार्मिक विंदुओं पर चर्चा हुई। परंपरानुसार देवीपाटन पीठाधीश्वर द्वारा पात्र देवता का दलीचा भरा गया, जो शक्ति उपासना की एक महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है।
सभा में देवीपाटन पीठाधीश्वर योगी मिथलेश नाथ ने कहा, "भारत और नेपाल के संबंध रोटी-बेटी के रिश्तों से जुड़े हैं। दोनों देशों की धार्मिक यात्राएं सदियों से चली आ रही हैं, जो आज भी जीवंत हैं।" उन्होंने जनकपुर धाम की प्रभु श्रीराम की बारात यात्रा और नेपाल के दांग से देवीपाटन तक पीर रतन नाथ योगी की यात्रा का विशेष उल्लेख किया।
धर्मसभा में आगामी धार्मिक यात्रा की तैयारियों पर भी मंथन हुआ। हर वर्ष की तरह पीर रतन नाथ योगी की यात्रा नवरात्रि की पंचमी को देवीपाटन पहुंची थी और यह सोमवार की मध्यरात्रि को पुनः नेपाल लौटेगी। इस यात्रा के समापन से पूर्व दोनों देशों के संतों के बीच धर्मसभा आयोजित करने की परंपरा कई दशकों से चली आ रही है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नेपाल दांग चौखड़ा से महंत सूरत नाथ योगी, बृहस्पति नाथ, अजय नाथ, श्याम नाथ सहित हरियाणा हिसार से महंत विनोद नाथ योगी, दीनानाथ योगी,अर्जुन गुप्ता ,राजू , धीरेंद्र सिंह धीरू तथा अन्य मठ-मंदिरों के संत-महंत शामिल हुए।
इस धर्मसभा ने भारत-नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों को एक बार फिर सशक्त करने का संदेश दिया।