Shaktipeeth: कैसे पहुंचे शक्तिपीठ देवीपाटन धाम, क्या है यहां का धार्मिक महत्व
उत्तर प्रदेश के जनपद बलरामपुर में स्थित 51 शक्तिपीठों में प्रसिद्ध शक्तिपीठ देवीपाटन धाम देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। पूरें वर्ष यहां श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहता है। यहां चैत्र नवरात्रि में एक माह वा शारदीय नवरात्रि में 15दिवसीय विशाल मेला लगता है। लगने वाले मेलें को प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है।
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देवीपाटन मंदिर |
कैसे पहुंचे शक्तिपीठ देवीपाटन धाम
ट्रेन से देवीपाटन धाम पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन तुलसीपुर है । यहां से मंदिर की दूरी मात्र डेढ़ किमी की दूरी पर है।तुलसीपुर रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ वा गोरखपुर से सीधे जुड़ा है। देश के किसी भी हिस्से से लखनऊ वा गोरखपुर से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से 200 किमी तथा गोरखपुर से 160 किमी लगभग की दूरी पर देवीपाटन मंदिर है। लखनऊ से बढ़नी गोरखपुर रेलखंड से होते हुए ट्रेन तुलसीपुर रेलवे स्टेशन पहुंचती है। इसी तरह गोरखपुर से भी वाया बढ़नी होते हुए ट्रेन से तुलसीपुर पहुंचा जा सकता है। तुलसीपुर रेलवे स्टेशन से डेढ़ किमी की दूरी पर मां पाटेश्वरी का दिव्य धाम स्थापित है। जो पैदल या टैक्सी से पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग - इसी तरह देश के किसी भी हिस्से से लखनऊ अथवा गोरखपुर पहुंच यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग NH-730 देवीपाटन मंदिर से जुड़ा हुआ है।
क्या है यहां का धार्मिक महत्व
देवीभागवत वा अन्य पुराणों के अनुसार राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पति महादेव का अपमान देख माता सती ने यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी । माता सती के वियोग में महादेव शिव माता सती के यज्ञ में जले शव को कंधे पर रख आकाश में विचरण करने लगे। जिस पर महादेव के वियोग को देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव को कई भागो में काट दिया। बताया जाता है कि जहां-जहां माता के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए हैं। जिनमें 51 शक्तिपीठ प्रमुख हैं। बताया जाता की देवीपाटन में माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिर था। यहां मां आदिशक्ति को पाटेश्वरी देवी के रूप में पूजन किय जाता है।
यह स्थान महायोगी गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली भी है। एक कथा के अनुसार मां सती के इस स्थान पर महायोगी यहां पहुंच कुछ समय तक ध्यानरत रहे। महायोगी के द्वारा जलाया गया अखंड धूना आज भी युगों युगों से यहां जल रहा है। जिसे श्रद्धालु मां पाटेश्वरी जी का दर्शन पूजन उपरांत धूना दर्शन अवश्य करते है।
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सूर्य कुंड |
यहां महाभारत कालीन दानवीर राजा कर्ण का भी उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि यहां स्थित पवित्र सरोवर सूर्य कुंड में स्नान कर राजा कर्ण सूर्य पूजन किया करते थे, उन्हीं के नाम पर सरोवर का नाम सूर्यकुंड है। श्रद्धालु इसी कुंड में स्नान कर मां का दर्शन पूजन करते हैं माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
विश्राम भवन - श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वारा रेन बसेरा, यात्री निवास, मां पाटेश्वरी भवन बनाया गया है, जहां पर यात्री रात्रि में ठहर सकते है। व्यवस्थाओं को लेकर पूरे परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगे हैं जिसके माध्यम से देवीपाटन पीठाधीश्वर स्वयं पूरे क्षेत्र पर नजर बनाए रखते हैं कहीं कुछ आवश्यक पड़ने पर पीठाधीश्वर के निर्देश पर तत्काल व्यवस्थाएं देखी जाती है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थानों से देवीपाटन शक्तिपीठ की दूरी
अयोध्या-तकरीबन 120 किमी
नैमिषारण्य- 220 किमी
गोरखपुर- 160 किमी
इलाहाबाद-271 किमी
चित्रकुट- 375 किमी
विन्ध्याचल-372 किमी