यहां जान जोखिम में डाल नाव से राप्ती नदी पारकर उतरौला बाजार पहुंचते हैं लोग
आशीष कसौधन
बलरामपुर। तहसील उतरौला क्षेत्र के ग्राम सभा नंदौरी और उसके मजरा भरवलिया के बीच बह रही राप्ती नदी दोनों गांव के बीच दीवार बनकर खड़ी है। गांव के लोगों को उतरौला तहसील कार्यालय, अस्पताल, स्कूल आने के लिए जान जोखिम में डाल नदी पार करना पड़ता था। राशन कार्ड धारकों को भी हर माह राशन लेने के लिए नदी पार कर नंदौरी जाना पड़ता है।
भरवालिया वासियों ने नदी पार करने के लिए अपने निजी खर्चे से नाव की व्यवस्था कर रखी है। रोजाना सैकड़ों लोग रस्सी एवं लग्गे के सहारे नाव से जान जोखिम में डाल रोजाना नदी पार करते हैं। नदी पार करने के बाद इन्हें लगभग एक से दो किलोमीटर कच्चे, उबड़ ,खाबड़ रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। सबसे अधिक समस्या गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं को होती है। टीकाकरण व उपचार के लिए नाव से नदी पार कर कच्चे, उबड़ खाबड़ रास्तों से होते हुए नंदोरी एनम सेंटर पहुंचना होता है। एनम भी नदी पार कर गांव में महिलाओं और बच्चों का हाल-चाल जानने पहुंचा करती हैं। गांव में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। विकास के नाम पर कोई काम हुआ ही नहीं। अधिकतर सड़कें कच्ची या बहुत पुरानी खड़ंजा लगी हुई हैं।
ग्रामवासी सलीमुउल्ला खान कहते हैं कि इस गंभीर समस्या का सामना पूर्वजों से चला आ रहा है। नदी पर स्थाई या अस्थाई पीपा पुल बनाने की मांग करते-करते तमाम ग्रामवासी परलोक सिधार गए। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। शबीउर्रहमान कहते हैं इस आधुनिक युग में भी हमारे ग्राम सभा के लोग लकड़ी की पुरानी नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं। कई बार जनप्रतिनिधियों से नदी पर पक्का या अस्थाई पुल बनाने की मांग की गई लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने ठोस प्रयास नहीं किया।
मुरतुजा कहते हैं कि सबसे अधिक समस्या बाढ़ के समय होती है जब नदी से नाव हट जाती है। ग्राम वासियों को तहसील, कचहरी, अस्पताल, ब्लॉक मुख्यालय पहुंचने के लिए 30 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है।
शमशेर कहते हैं की नदी पर पुल ना होने के कारण गांव में बारात आने या ले जाने में बेहद दुश्वारियां का सामना करना पड़ता है। शाम के समय नाव का संचालन बंद हो जाता है इसलिए शाम होने से पहले आए हुए नाते रिश्तेदारों को घर भेजना पड़ता है। और हम लोगों को भी संध्या से पहले घर पहुंचना होता है।
समाजसेवी कृष्ण कुमार गुप्ता कहते हैं कि नदी पर पुल बनवाने के लिए सांसद एवं विधायक से प्रयास किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद ग्रामीणों के साथ जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में मुलाकात कर वार्ता की जाएगी। आशा है कि जनप्रतिनिधि हमारी समस्या को गंभीरता से लेकर नदी पर पुल बनवाने कराने का प्रयास करेंगे।