ब्रम्हलीन महंत महेंद्र नाथ योगी का 24वां पुण्यतिथि कार्यक्रम
प्रभाकर कसौधन
बलरामपुर। भगवान राम धर्म के स्वरूप है। जब व्यक्ति धर्म के साथ जीवन जीता है तभी उसका मंगल होता है। क्योंकि "राम जन्म जग मंगल हेतु" भगवान राम का जन्म संसार के मंगल के लिए होता है। एक बार नारद जी ने भी भगवान को श्राप दिया था जिससे भगवान राम को जन्म लेकर मानव जैसे लीला करनी पड़ी। इसलिए भगवान राम के लीला का जीवन में अनुकरण करना चाहिए। जीवन के प्रत्येक पग पर मर्यादा आदर्श चरित्र से श्रीराम ने संसार को जीवन जीने की कला सिखाई। उक्त कथा आचार्य रविकांत शास्त्री ने शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन के गोरख मंडपम सभागार में श्री राम कथा कार्यक्रम के पांचवें दिन कहीं।
पांचवें दिन भगवान राम के जन्म की कथा कहते हुए कहा कि भगवान श्री राम का जन्म के अनेकों कारण है जिसमें कुछ कारणों को बाबा तुलसी ने राम चरित्र मानस में वर्णन किया है। भगवान विष्णु के पार्षद जय और विजय को तीन जन्म तक राक्षस होने का श्राप ब्रम्हणों ने दिया था। जिससे वहीं रावण वा कुंभकर्ण बने थे,जिनके उद्धार के लिए भगवान को अवतार लेना पड़ा ।
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भगवान राम के जन्म की कथा कहते हुए श्रद्धालुओं को भगवान राम के दिखाएं रास्तों पर चलने को लेकर प्रेरित करते हुए बड़ों का माता पिता के सम्मान करने का संकल्प दिलाया।
देवीपाटन मंदिर में ब्रह्मलीन महंत महेंद्र नाथ योगी के 24वें पुण्यतिथि पर 16 नवंबर से संगीतमयी श्री राम कथा चल रही है। जो 22 नवंबर तक चलेगी। अंतिम दिन संत सम्मेलन व श्रद्धांजलि सभा वा भंडारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कथा कार्यक्रम में पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।
कथा उपरांत आरती पूजन में देवीपाटन पीठाधीश्वर ने व्यासपीठ का विधिवत पूजन किया। उसके उपरांत प्रसाद वितरण कराया गया। कार्यक्रम में महंत दीना नाथ योगी,महंत ज्ञानी नाथ योगी,संत सर्वेश जी महराज मौजूद रहे।

