परिषद ने इसे गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (FIR) के निर्देश जारी किए हैं। 25 सितंबर 2025 को मदरसा बोर्ड ने स्पष्ट आदेश जारी कर वर्तमान कार्यवाहक प्रधानाचार्य को हटाने और अब्दुल वहाब खां को कार्यभार देने का निर्देश दिया था लेकिन आदेशों की अनदेखी हुई। इस पर मदरसा बोर्ड लखनऊ के द्वारा 17 अक्टूबर को चार्ज दिलाने का निर्देश देते हुए एफआईआर का निर्देश जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को दिया गया है।
वर्ष 2018 से चल रहा संचालन को लेकर विवाद
मिली जानकारी के अनुसार मदरसे के संचालन और प्रबंधन को लेकर वर्ष 2018 से विवाद चल रहा है। मामला उच्च न्यायालय और आयुक्त गोंडा के समक्ष भी पहुंचा था। वर्ष 2023 को आयुक्त गोंडा ने निर्णय देते हुए वर्तमान प्रबंध समिति को भंग कर दिया था। इसके बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा पत्र व्यवहार के माध्यम से मदरसे का संचालन अनियमित रूप से केयरटेकर प्रणाली के माध्यम से किया गया। बाद में केयरटेकर प्रणाली के विरुद्ध कमेटी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस पर पूर्व रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड द्वारा केयरटेकर व्यवस्था समाप्त कर दी गई।
अल्पसंख्यक अधिकारी के भूमिका पर भी सवाल
प्रधानाचार्य अब्दुल वहाब ने बताया कि मदरसा बोर्ड ने उन्हें पुनः बहाल कर दिया है लेकिन स्थानीय स्तर पर उन्हें अब तक चार्ज नहीं दिया गया है।
मदरसे से जुड़े शिक्षक नेताओं ने इस प्रकरण में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि परिषद कार्यालय के आदेशों के बावजूद स्थानीय प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई में अनावश्यक देरी की गई है।
इस संबंध में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि मदरसा शिक्षा परिषद का पत्र प्राप्त हो गया है निर्देशानुसार आवश्यक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।